March 15, 2025 9:36 am

जादुई अंडो की खेती – Jadui andon ki kheti | Hindi kahani | Panchtantra

जादुई अंडो की खेती - Jadui andon ki kheti | Hindi kahani | Panchtantra
Jadui andon ki kheti

जादुई अंडो की खेती

 

कहानियों का परिचय

जादुई अंडो की खेती: पंचतंत्र संस्कृत में लिखित प्राचीन कथा-संग्रह है, जिसे विष्णु शर्मा ने रचा था। इसमें नैतिक शिक्षा देने वाली कहानियाँ पशु-पक्षियों और मानव पात्रों के माध्यम से प्रस्तुत की गई हैं। ये कहानियाँ बुद्धिमत्ता, चतुराई, मित्रता, नैतिकता और जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाती हैं। पंचतंत्र की कहानियाँ न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि बच्चों और बड़ों के लिए शिक्षाप्रद भी हैं।

 

जादुई अंडो की खेती (Jadui andon ki kheti)

पालमपुर गांव में दो व्यापारी थे। एक बिरजू ओर दूसरा गंगू। रोज दोनों अंडों की व्यापारी करते थे । ताजा और स्वादिष्ट अंडे, संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे। सफेद सफेद उजले अंडे लेलो मेरे सारे अंडे। भाई तुम्हारे अंडे सफेद तो होते हैं पर उसमें स्वाद नहीं होता। मैं तो बिरजू के पास से ही अंडे लूंगा। उसके सारे अंडे ताजे और स्वादिष्ट होते हैं।और आदमी बिरजू के पास जा कर अंडे ले लेता है। दोनों में से बिरजू का व्यापार अच्छे से चल रहा था क्योंकि बिरजू के अंडे बहुत ही स्वादिष्ट और ताजा था। वहीं गंगू का व्यापार ठीक से नहीं चलता था क्योंकि उसके अंडे उजले तो थे पर अच्छे नहीं थे और न ही स्वादिष्ट थे। ऐसा हर रोज होता था।

 

अरे गंगू भाई कैसा चल रहा है तुम्हारा व्यापार। आ हा हा हा, तुम्हारे सारे अंडे बिक गए हैं तो मुझे अब ताना मारने लगे हो। ऐसा तुम्हें किसने कहा जरूर तुम्हें गलतफहमी हुई है। मैं क्यों तुम्हें ताना मारूंगा भला। मैं तो बस ये कहने आया था कि कल हमारे गांव में मेला लगने वाला है। तो क्यों न हम दोनों कल के मेले में अपने अंडे की दुकान लगा दें। ठीक है ठीक है मेले में दुकान लगाऊंगा या नहीं मैं समझ लूंगा। बताने की जरूरत नहीं है। पता नहीं तुम ऐसे क्यों बात कर रहे हो। पर ठीक है अब मैं चलता हूं।

 

बिरजू वहां से चला जाता है। और गंगू मन ही मन बिरजू के बारे में बोलता है। तुम्हारा व्यापार अच्छी तरह चलता है इसलिए तुम मुझे चिढ़ाने के इरादे से आए थे। पर अब ऐसा नहीं होने दूंगा। फिलहाल मुझे कल के मेले की तैयारी करनी चाहिए। वैसे आज भी मेरे अंडे बच गए हैं लेकिन थोड़ी और ज्यादा कमाई हो जाए इसलिए कुछ अंडे और ले लेता हूं। कल गांव में मेला है तो कमाई अच्छी ही रहेगी।

गंगू दुकान जाता है और कहता है। भाई साहब अच्छे अंडे का आज का भाव क्या है। अच्छे अंडे 100 रुपए दर्जन हैं। और खराब अंडे। खराब अंडे 60 रुपए दर्जन हैं। कल मेला है तो जाहिर सी बात है कल सारे अंडे बिक जाएंगे तो क्यों न मैं और सस्ती अंडे ले लूं मुनाफा भी डबल होगा।
भाई साहब इससे भी सस्ता बताना ।

 

इससे सस्ते अंडे 50 रुपए दर्जन आएंगे । हा ये मुझे देना पूरे 10 दर्जन। और इस तरह गंगू सस्ते अंडे खरीद कर चल देता है।
दूसरे दिन गांव में मेला लगा था। मेले में बहुत भीड़ थी। सब लोग मेला देखने गए थे। उसी मेले में बिरजू ओर गंगू भी अपना अपना ठेला लगाए थे।
उस दिन बिरजू का बहुत अच्छा बिक्री हो रहा था।

 

ande ki kheti hindi kahani

 

जादुई अंडो की खेती (Jadui andon ki kheti)

अरे वह यार बिरजू तुम्हारे अंडों की बात ही कुछ और है। खा कर मजा आ जाता है। आज मेरी बीवी अंडा कड़ी बनाने वाली है इसलिए 2 दर्जन दे देना। जी महेश भैया अभी देता हूं। ये रहा आपके 2 दर्जन अंडे।धन्यवाद बिरजू अब मैं चलता हूं आज इन अंडों का पूरा स्वाद लूंगा। फिर बिरजू ने खूब पैसे कमाए क्योंकि धीरे धीरे उसके सारे अंडे बिक गए थे। वही गंगू के पास जायदा लोग नहीं आ रहे थे। क्योंकि गंगू के अंडों में स्वाद ही नहीं था। गंगू बिरजू के ठेले के पास भीड़ देख कर मन ही मन बहुत गुस्सा हो रहा था।

 

अरे बिरजू के वजह से मेरा व्यापार रोज ठीक से नहीं चलता है। आज इसने फिर सारे अंडे बेच दिए। मुझे तो इस बिरजू से अब बहुत जलन होने लगी है। इसकी वजह से मैं कुछ भी नहीं कमा पा रहा हूं। बहुत मुश्किल से अभी तक 500 रुपए ही कमाए हैं। इतने सारे अंडे तो अभी भी बचे हुए हैं। अब बहुत हो गया। इस बिरजू का कुछ करना होगा। अगर ये रहा तो मैं कुछ भी कमा नहीं पाऊंगा।

 

गंगू के मन में खोट आ जाता है और मन ही मन कहता है। आज रात मैं बिरजू का सारा दुकान ही जला। फिर देखता हूं कैसे अंडे बेचता है। और लोगों को भी फिर मुझसे ही अंडे खरीदने होंगे। रात को मेला खत्म हो जाती है और सभी अपने अपने घर चले जाते हैं। चारों तरफ सन्नाटा छा गया था। गंगू चुपके से बिरजू के दुकान के पास जाता है। और बिरजू के दुकान में आग लगा देता है। गंगू हस्ते हुए कहता है।

 

अब देखता हूं बिरजू कैसे कल तू दुकान लगाता है। कल से अब सिर्फ मेरा ही अंडा बिकेगा। दूसरे दिन सुबह होती है बिरजू रोज की तरह दुकान जाता है।
लेकिन सामने अपने दुकान को जला हुआ पता है। वह ये देख कर रोने लगता है। हे राम ये क्या हो गया। मेरे सारे पैसे और थोड़े बचे अंडे सब जल कर राख हो गया। ये कैसे हुआ। किसने मेरी दुकान में आग लगा दी। मैं तो अब बर्बाद हो गया। अब मैं क्या करूं।

 

तभी वहां बिरजू की पत्नी आती है ओर बोलती है। हाय रे दया, ये क्या हो गया। पता नहीं किसकी नज़र लग गई हमारे दुकान पर। हमारा सारा दुकान ही जल गया है और बिरजू को रोते हुए देख कर कहती है। शांत हो जाइए जी, शायद हमारे भाग्य में यही लिखा था। न जाने किसने जलन से हमारा दुकान जला दी है। अब चुप रहिए।

 

कुछ दिन बिरजू ऐसे ही टेंशन में बिताता है। वह बहुत परेशान था। बिमला बिरजू से कहती है। सुनिए जी आप कब तक ऐसे परेशान रहिएगा। घर पर बचे सारे पैसे भी अब खत्म होने को है। अगर सारे पैसे खत्म हो गए तो हमारे पास खाने के लिए भी कुछ नहीं बचेगा। लकड़ियां भी खत्म होने को है अब खाना बनाना भी मुश्किल हो जाएगा।

 

 

तुम ठीक कह रही हो बिमला। मैं कुछ करता हूं। फिलहाल मैं जंगल से लकड़ियां ले कर आता हूं। फिर बिरजू जंगल की ओर चलता है। वह मन ही मन बहुत उदास था। वह जंगल के ओर गहराई में चले जाता है। लंबी दूरी तय करने से वह थक गया था। इसलिए एक पेड़ के नीचे वह बैठ जाता है। और पानी निकाल कर पीने लगता है। तभी उसे एक बूढ़ी औरत की आवाज सुनाई पड़ती है। जो सामने के पेड़ के नीचे बैठी थी।

अरे बेटा क्या तुम्हारे पास पानी है। क्या मुझे थोड़ा पानी मिल सकता है। मैं बहुत देर से प्यासी हूं। प्यार के मारे मेरा गला सुख जा रहा है। हां अम्मा, मैं अभी लाकर देता हूं।बिरजू बूढ़ी औरत को पानी पिलाता है। तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद बेटा। आज तुम अगर मुझे पानी नहीं पिलाते तो मैं यहीं प्यासी मर जाती। तुम बहुत भले व्यक्ति मालूम पड़ते हो। लेकिन तुम्हारे चेहरे पर उदासी क्यों है।

 

वो क्या है कि अम्मा मेरा अच्छा खासा अंडे का व्यापार चल रहा था। अचानक मेरा दुकान जल गया और मैं बर्बाद हो गया। तबसे मैं बहुत परेशान हूं। बेटा मैं तुम्हारी मदद करना चाहती हूं। ये मैं तुम्हें कुछ बीज दे रही हूं इसे अपने खेत में लगा देना। उसके बाद तुम्हारी सारी परेशानी दूर हो जाएगी। ठीक है अम्मा आपका बहुत बहुत धन्यवाद। मैं अब चलता हूं।

 

और बिरजू वहां से चल देता है। थोड़ी देर बाद घर पहुंच कर बिरजू सारी बात बिमला को बता देता है। उसके बाद बिरजू बूढ़ी औरत का दिया हुआ बीज अपने खेत में लगा देता है। कुछ दिन बाद जब बिरजू वापस खेत में आता है तो खेत में लगे पौधों को देख कर हैरान हो जाता है। अरे ये क्या इन पौधों में तो अंडे फल रहे हैं। इसका मतलब अम्मा ने मुझे जादुई बीज दिए थे।

 

वह खुशी खुशी अंडे तोड़ कर घर ले आता है और सारी बात बिमला को बता देता है। दोनों अब बहुत खुश थे। बिरजू फिर से अपना अंडे का व्यापार शुरू कर दिया था। ताजा और स्वादिष्ट अंडे, संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे। अरे बिरजू तुमने अंडे का व्यापार फिर से शुरू कर दी है। अब जल्दी से मुझे 1 दर्जन अंडे देना। तुम्हारे अंडे बहुत दिनों से खाया नहीं है।

 

ande ki kheti hindi kahani

 

जादुई अंडो की खेती (Jadui andon ki kheti)

ये लो भइया, तुम्हारे 1 दर्जन ताजे अंडे। गंगू बिरजू को फिर से अंडे का व्यापार करते देख दंग रह जाता है। वह गुस्से से कहता है। ये बिरजू फिर से मेरा व्यापार बंद करने आ गया। इसके जाने के बाद मेरा अच्छा खासा व्यापार चल रहा था। मुझे पहले की तरह फिर से कुछ करना होगा। एक दिन गंगू बिरजू का पीछा करता है। वह देखता है कि बिरजू अपने खेत के पौधों से अंडे तोड़ रहा है जिसे बाजार में जा कर बेचा करता है।

 

ओ तो ये बात है। बिरजू के ताजे और स्वादिष्ट अंडे इन पौधों से मिलता है। रात होती होती है। गंगू चुपके से बिरजू के खेत में जा कर उसके सारे अंडे तोड़ लेता है। दूसरे दिन सुबह होती है। बिरजू रोज की तरह अंडे तोड़ने खेत में जाता है लेकिन वह अपने पौधों को देख आश्चर्य हो जाता है।

 

सारे अंडे कहां गए। मेरे अंडे। आखिर किसने मेरे अंडे चोरी की। मैं आज क्या बेचूंगा। उस दिन बिरजू के पास अंडे न होने के कारण उसका दुकान बंद था। वह कुछ सब्जी लाने बाजार जाता है। तभी उसकी नजर गंगू के अंडों पर पड़ती है। हां, ये अंडे, न जाने क्यों मेरे अंडे जैसे लग रहे हैं। कहीं मेरे अंडे गंगू ने तो नहीं चोरी की है। मुझे आज रात इसकी निगरानी करनी होगी।

 

रात होती है। बिरजू पहले से एक पेड़ के पीछे छुपा हुआ था। तभी वह देखता है गंगू उसके खेत में आया है और उसके पौधों से अंडे तोड़ रहा है। सारे अंडे तोड़ने के बाद। बिरजू अचानक से गंगू के सामने आ जाता है। गंगू ये देख डर जाता है।

 

अरे बिरजू। तो तुम ही थे मेरे अंडे चोरी करने वाले। तुम्हें क्या लगा मुझे पता नहीं चलेगा। मुझे माफ करना बिरजू। मैं तुम्हारा व्यापार अच्छी तरह चलते देख कर बहुत जलने लगा था। जिससे मुझे सहन नहीं हो पा रहा था। क्योंकि मेरे अंडे नहीं बिक रहे थे। तो मैने गुस्से में आ कर तुम्हारी दुकान जला दी थी। क्या इसका मतलब मेरा दुकान तुमने जलाई थी।

 

हां पर उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूं और माफी मांगता हूं मुझे माफ कर दो। और आज जो कुछ भी हुआ उसके लिए भी माफ कर दो। आज के बाद मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा बिरजू। अगर तुम अपनी गलती मान रहे हो और तुम्हें अपनी गलती पर पछतावा है तो मैं माफ करता हूं। रही बात व्यापार की तो मैं हमेशा अच्छे और स्वादिष्ट अंडे लोगों को बेचा करता हूं। अगर तुम भी अच्छे और स्वादिष्ट अंडे बेचा करते तो तुम्हारा व्यापार भी अच्छा चलता।

बिरजू मैं बहुत शर्मिंदा हूं। मैं कल से ही अच्छे और स्वादिष्ट अंडे बेचा करूंगा। ठीक है गंगू। वैसे भी मैं कल से अंडों का होलसेल करने वाला हूं तो क्यों न तुम मुझसे अंडे ले कर बेचा करो। इससे तुम्हारा व्यापार अच्छी तरह चलने लगेगा। मैं ऐसा ही करूंगा बिरजू।

दूसरे दिन बिरजू अंडों का होलसेलिंग करने लगता है और गंगू भी अच्छे और स्वादिष्ट अंडे बेचने लगता है। दोनों का व्यापार अब बहुत अच्छा चलने लगा था।

The end

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *