1000 साल के अंत तक समुद्र 58 मीटर ऊपर चढ़ेगा | दुनिया के नक्शे से कई देश मिट जाएंगे: इंसान की गतिविधि जितनी तेजी से बढ़ रही है उतनी गति से विकास भी हो रहा है। लेकिन इंसानों का ये विकास ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाली। आज लगभग हर देश एक दूसरे के साथ प्रतियोगिता कर रहे हैं। और भूल गए हैं कि हम विकास की चाह में पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन जल्द ही प्रकृति इंसानों से बदला लेगी और ये सब सदी के अंत में होगा, जिसका कोई देश, टापू, शहर जलमग्न हो जाएगा। तब इंसान कुछ नहीं कर पाएगा।
1000 साल के अंत तक समुद्र 58 मीटर ऊपर चढ़ेगा | दुनिया के नक्शे से कई देश मिट जाएंगे
(1000 साल बाद कौन-कौन से देश पानी में डूब सकते हैं, इसका सटीक अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन वैज्ञानिक शोध और भविष्यवाणियों के आधार पर, अगर ग्लोबल वॉर्मिंग (climate change) इसी तरह बढ़ती रही और समुद्र का जलस्तर (sea level) लगातार बढ़ता रहा, तो कई देशों और शहरों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।)
संभावित रूप से जलमग्न होने वाले देश (1000 साल में)
1. नीदरलैंड (Netherlands)
* समुद्र तल से बहुत नीचे है।
* पहले से ही समुद्र से बचाव के लिए बांध और डाइक बनाए गए हैं।
* जलवायु परिवर्तन के साथ डूबने का जोखिम अधिक है।
2. बांग्लादेश (Bangladesh)
* बहुत निचला और घनी आबादी वाला देश है।
* ब्रह्मपुत्र और गंगा डेल्टा क्षेत्र समुद्र स्तर बढ़ने से सबसे पहले प्रभावित हो सकते हैं।
* बडी आबादी तटीय मैदानी इलाकों में।
3. मालदीव (Maldives)
* यह देश औसतन सिर्फ 1.5 मीटर ऊँचा है।
* IPCC की रिपोर्ट के अनुसार, यदि समुद्र स्तर 1 मीटर भी बढ़ गया, तो यह देश लगभग डूब सकता है।
4. किरिबाती, टुवालु, मार्शल द्वीप (Pacific Islands)
* छोटे द्वीप राष्ट्र हैं, जो पूरी तरह समुद्र से घिरे हुए हैं।
* जलवायु शरणार्थियों की संख्या यहां से बढ़ सकती है।
5. मियामी और न्यूयॉर्क (अमेरिका के तटीय शहर)
* समुद्र का जलस्तर 5 मीटर से अधिक बढ़ा तो ये बड़े शहर बुरी तरह प्रभावित होंगे।
6. इजिप्ट (Nile Delta), थाईलैंड (Bangkok), वियतनाम (Ho Chi Minh City)
* डेल्टा और तटीय इलाके हैं, जहां बाढ़ का खतरा सबसे ज्यादा होगा।
7. भारत (India)
* कोलकाता, मुंबई, चेन्नई जैसे शहर
8.चीन (Chine)
* शंघाई, हांगझोउ जैसे तटीय शहर
वैज्ञानिक भविष्यवाणी:
* IPCC (Intergovernmental Panel on Climate Change) के अनुसार:
* 2100 तक समुद्र का स्तर 1 मीटर तक बढ़ सकता है।
* अगर अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड की बर्फ पिघलती रही, तो आने वाले 1000 सालों में समुद्र स्तर 10 मीटर या उससे अधिक तक बढ़ सकता है।
1000 साल में जोखिम वाले क्षेत्र:
क्षेत्र – जोखिम स्तर – कारण
दक्षिण एशिया (बांग्लादेश, भारत का तटीय भाग) – बहुत अधिक – डेल्टा क्षेत्र, भारी आबादी
यूरोप का तटीय भाग (नीदरलैंड) – उच्च – समुद्र तल से नीचे
छोटे द्वीप देश (मालदीव, किरिबाती) – अत्यधिक – समुद्र से घिरे, ऊँचाई बहुत कम
अमेरिका (फ्लोरिडा, न्यूयॉर्क) – मध्यम-उच्च – तटीय शहरीकरण
समाधान क्या है?
* कार्बन उत्सर्जन को कम करना।
* नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग।
* समुद्र तटीय शहरों की सुरक्षा के लिए दीवारें और तकनीकी समाधान।
* ग्लोबल क्लाइमेट समझौतों का पालन।
कुछ जरूरी स्वाल
1000 सालों में समुद्र का जल स्तर कितना बढ़ेगा,
यह इस बात पर निर्भर करता है कि मानवता आने वाले दशकों में कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कितना नियंत्रित करती है।
IPCC और अन्य वैज्ञानिक रिपोर्ट्स के अनुसार:
- परिदृश्य (Scenario) अनुमानित समुद्र स्तर वृद्धि (1000 वर्षों में) ।
- बहुत अधिक उत्सर्जन जारी रहा (Business as Usual) – 6 से 12 मीटर या उससे अधिक ।
- मध्यम उत्सर्जन नियंत्रण – 2 से 6 मीटर
- शून्य उत्सर्जन, जलवायु नियंत्रण – 1 से 3 मीटर (या थोड़ा कम) ।
अगर बर्फ की चादरें पूरी तरह पिघल गईं तो ?
ग्रीनलैंड की बर्फ पूरी पिघली तो जल स्तर में 7 मीटर वृद्धि होगी।
अंटार्कटिका की बर्फ पूरी पिघली तो जल स्तर में 58 मीटर तक वृद्धि होगी।
अगर अंटार्कटिका की सारी बर्फ पूरी तरह पिघल जाए, तो समुद्र स्तर में लगभग 58 मीटर (190 फीट) तक की वृद्धि हो सकती है।
विस्तार से समझें:
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अंटार्कटिका में धरती की लगभग 60% बर्फ और 90% मीठा पानी जमा है।
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अगर यह सब पिघलता है, तो:
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तटीय शहर जैसे मुंबई, कोलकाता, न्यूयॉर्क, लंदन, शंघाई पूरी तरह जलमग्न हो सकते हैं।
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द्वीपीय देश जैसे मालदीव, किरिबाती विलुप्त हो सकते हैं।
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बांग्लादेश और नीदरलैंड्स जैसे निम्न-भूमि क्षेत्र सबसे पहले प्रभावित होंगे।
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यह प्रक्रिया हजारों साल में हो सकती है, लेकिन अगर ग्रीनहाउस गैसें तेज़ी से बढ़ती रहीं, तो यह प्रक्रिया बहुत तेज़ भी हो सकती है।
1000 सालों में संभवतः कितना बढ़ सकता है ?
अभी तक के वैज्ञानिक अनुमानों के अनुसार:
* औसतन 2 से 10 मीटर तक जल स्तर बढ़ सकता है ।
* यदि उत्सर्जन बहुत अधिक रहा, तो यह 15 मीटर तक भी जा सकता है ।
* यह वृद्धि धीमी लेकिन स्थायी होगी – हर सदी में लगभग 0.5 से 1.5 मीटर तक होगी ।
इसका क्या असर होगा?
* तटीय शहर और देश डूब सकते हैं (जैसे मालदीव, बांग्लादेश, नीदरलैंड)
* करोड़ों लोग जलवायु शरणार्थी बनेंगे
* खारे पानी का जमीन में प्रवेश (agriculture पर असर)
* तूफानों और बाढ़ की तीव्रता बढ़ेगी
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